गीतिका/ग़ज़ल

नामुमकिन कुछ नही

नामुमकिन कुछ नही सब आसान ही है
हर शख्स थोड़ा बहोत परेशान ही है

जो चाँद पे गया जिसने अविष्कार किये
कोई और नही हमसा एक इंसान ही है

संकट के समय मे तुम मेरे काम आये
तुम्हारा मुझ पर बड़ा ये अहसान ही है

जो कह दिया पत्थर की लकीर समझो
दौलत से बड़ी हमारे लिए जुबान ही है

मैं सभी के दिलों में जल्द उतर जाऊँगा
दिलों के भीतर सबके लंबी ढ़लान ही है

-शिवेश हरसूदी

शिवेश हरसूदी

खिरकिया, जिला हरदा (म.प्र.) मो. 8109087918, 7999030310