हास्य व्यंग्य

पापा जी

पापा जी

वो बहुत खुश है अपने छोटे से परिवार में ,उसके परिवार में अच्छा पति जो एक अच्छा बेटा है अपने माता पिता का, एक अच्छा भाई जो हमेशा बहन की एक आवाज़ पर तैयार है , एक अच्छा पिता जो अपने बच्चों को हर वो खुशी देना चाहता है और देते भी है जो उनके भविष्य निर्माण में सहायक हो ।
पत्नी को भी बहुत चाहता है क्योंकि उसकी पत्नी एक अच्छी जीवन संगिनी है जो उसके साथ कदम से कदम मिला कर चलती है।
एक दिन पति देव आ कर उसको कहते है ” देखो तुमको पहली सुलझाना, पूछना बहुत पसंद है मुझे कम तो आज मेरी मुलाकात एक सज्जन से हुई जो बहुत ज्ञानी है उनको अच्छा ज्ञान है हर क्षेत्र का , उनके तो ग्रुप भी है व्हाट्सएप पर फेस बुक पर तुम भी हो जाओ शामिल “।
” ठीक है मुझे देना नम्बर मैं उनसे कर लुंगी बात ” ।
बस वो भी उनके ग्रुप में जुड़ गई क्योंकि एडमिन जी बहुत सुलझे हुए सम्मानित व्यक्ति है ।
एक दिन उसको एक मैसेज आया” आप तो बहुत प्रतिभावान है । मैं भी आपके साथ ग्रुप में हीं हूँ”
” जी ,धन्यवाद आपका “।
” आप बुरा न माने तो कुछ कहना है “।
” जी भाई साहब कहिये “।
” आप मुझे भाई साहब न कहिये , मुझे तो आपसे दोस्ती करनी है , चलिए मैं अपको मेरे परिवार की जानकारी देना चाहता हूं “।
” जी बताइए”।
” मैं एक रिटायर्ड आदमी हूँ पत्नी बच्चों के साथ रहती है मेरे दो बेटे है जो कि विदेश में रहते है ।
मेरी बेटी बेंगलुरु रहती है मैं मुंबई में रहता हूँ । बहुत अकेलापन लगता है पत्नी से रोज़ होती है बात लेकिन ज्यादा नही तो सारा दिन मुश्किल से निकलता है । रात को नींद की दवा ले सो जाता हूँ। तो आप समझदार हो तेज़ दिमाग की हो क्या आप बनोगी दोस्त ………………
” मैं तो आपको हम उम्र समझ भाई साहब बोल रही थी लेकिन आप तो पापा जी निकले …………….
पापा जी से दोस्ती कैसे कर सकती हूँ ।
प्रणाम पापा जी !!!!!!!

डॉ सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।