गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

अगर सीख ले

राह आसान होगी, अगर सीख ले।
तू सफीने की करना कदर सीख ले।

पीर तेरी मेरी या, किसी की भी हो।
मरहमों सा, दवा सा हुनर सीख ले।

दिल दुखाने का जाने क्या अंजाम हो?
आह होती नहीं बेअसर सीख ले।।

दर्द मायूस हो कर चले जाएंगे।
मुस्कुराना ज़रा सा अगर सीख ले।।

बन्द आँखों मे ख्वाबों की बारात है।
पूरे होंगे मगर जागकर सीख ले।।

दोस्त कहता है, पर क्या खबर कौन है?
रखनी पड़ती है पैनी नज़र सीख ले।

खुद से होगी जो बेज़ारी ‘लहर’ इस कदर।
काम करता है तब ही ज़हर सीख ले।।

डॉ मीनाक्षी शर्मा

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा

One thought on “अगर सीख ले

  • डाॅ विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर गजल

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