इतिहास

डाककर्मी कालीप्रसाद पॉल में है अदम्य साहस

श्रीमान काली प्रसाद पॉल कई महत्वपूर्ण समाजोपयोगी कार्यों में संलग्न हैं, किन्तु परोक्ष तरीके से. उनका कहना है, गुप्त दान महाकल्याण होता है. खुद मात्र  ग्यारहवीं तक ही अध्ययनार्थी रहे और आर्थिक स्थिति शून्य रहा,परंतु अपने चारों संतानों को उच्च शिक्षित कराये. एम ए, बी टेक, बी एड, एल एल बी, यूजीसी नेट, डॉक्टरेट, फ़ेलोशिप सहित पत्रकारिता, गणित, विज्ञान, लेखाशास्त्र, साहित्य, मानवशास्त्र, राजनीतिशास्त्र इत्यादि विषयों में, जिनमें दो पुत्री की शिक्षा भी  शामिल है.

उनके जन्म के 7 माह और 5 वाँ दिन ही भारत आजाद हो गया यानी जन्म तिथि 10 जनवरी 1947 के दिन उनके पिता स्वतंत्रता संग्राम को लेकर जेल में थे. इसीकारण इनका नाम काल प्रतीक को लेकर ‘काली प्रसाद’ रखा गया, जो कि 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद होते ही इनके नाम काली माँ के प्रसाद स्वरूप काली प्रसाद हो गए. जन्मस्थान बिहार के नवाबगंज मनिहारी में, जिनके बिलकुल करीब 1757 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ईस्ट इंडिया कंपनी के संरक्षक क्लाईव के बीच भयंकर लड़ाई हुई थी.

पारिवारिक कुम्हारगिरी से आर्थिक विपन्नता की पाट भरी नहीं जा सकती थी. फिरतो अभावों में शिक्षा ग्रहण की जाती तो है, किन्तु इनकी अवधि लंबी नहीं होती, परंतु उतना अध्ययन ही तब उन्हें पहले पुलिस, फिर टेलीफोन विभाग और अंततः डाक विभाग में नौकरी दिलाई और 49 रूपये मासिक पर ग्रामीण डाकिया के रूप में कार्यारम्भ किया. 12 गांव पैदल चिट्ठी वितरण सहित अधिकांश अनपढ़ परिवारों को उनके आग्रह पर पत्र पढ़कर सुनाते भी थे. इसप्रकार से रोज 18 से 22 किलोमीटर की दूरी पैदल चलना सहित रविवारावकाश और अन्य अवकाश में भी अवितरीत चिट्ठियों का वितरण कार्य के बाद शुरूआत में भाई-बहन, फिर कई वर्षों बाद चारों बच्चों को खुद पढ़ाना कि अगर जीवन ओलिंपिक है, तो यह इनकी मैराथन पारी रही. साइकिल खरीद नहीं पाये और पैदल चलना इनकी नियति हो गयी.

चालीस साल की बेदाग नौकरी में अगर औसत दिन और दूरी को जोड़ा जाय, तो इनके द्वारा 31 जनवरी 2007 तक लगभग 2 लाख 50 हजार किलोमीटर पैदल चला गया, जो एक रिकॉर्ड है. अंतिम वेतन भी 8,000 रुपये से ज्यादा नहीं रहा, परंतु वेतनों में से छद्मनाम सहारे देशभर में जहाँ कहीं भी संकटोत्पन्न हुई, डाक माध्यमों से अकाल, बाढ़, भूकंप, तूफ़ान, बर्फ़बारी, आगजनी इत्यादि आपदाओं हेतु विविध कोष में अबतक लाखों रुपये दान कर चुके हैं. इन्होंने अपनी चारों संतान में भी ऐसी प्रवृति डाल चुके हैं. जो 46, 38, 34, 26 वर्ष की आयु लिए भी अविवाहित हैं! कालीप्रसाद की उपलब्धियों को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स आदि ने दर्ज़ किए हैं.

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.