शिशुगीत

बंदर

जब मैं उछल-कूद करता हूं,A monkey gave his life for owners birds in kolkata
मम्मी कहती ”तू है बंदर”,
पर मेरे तो पूंछ नहीं है,
मैं कैसे हो सकता बंदर!
मुहं भी मेरा लाल नहीं है,
और न ही बिलकुल काला,
ना लंगूर मैं ना ही बंदर,
मुझको तो होना है लाला.

1978 में लिखी पुस्तक शिशु गीत-संग्रह से

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244