लेखविज्ञान

पाई (π) के उपयोग किए बिना हल संभव ?

पाई (π) के उपयोग किए बिना हल संभव ?

पाईमान के बगैर हल :-

“सबसे पहले व्यास का वर्ग निकालते है , फिर उस वर्ग का आधा लेकर क्रमश: उसमें एकबार तीन से और शेष में लगातार तीन बार दो-दो से भाग देते हैं, भागफल को तीन से गुणा करते हैं । फिर गुणनफल को व्यास का वर्ग में घटाते हैं । प्राप्त परिणाम वृत्त का क्षेत्रफल होता है, जिनमें पाई (π) के मान का कोई उल्लेख नहीं हुआ, किन्तु यह π के समानांतर मान = 19/6 का निर्धारण पर ही यह संक्रियात्मक सिद्धांत लागू होंगे, तथापि अगर π का मान = 22/7 लेकर ही चलते हैं, तो उपर्युक्त संक्रिया के बाद प्राप्त वृत्त के क्षेत्रफल में 0.9925 से गुणा करने पड़ेंगे ! अब इस क्षेत्रफल को आधार मानकर अन्य सभी वृत्त-संबंधित क्षेत्रमितीय आकृतियों का परिमाप, आयतन या क्षेत्रफल आसानी से निकाल सकते हैं ।”

अन्य सूत्र, यथा-

1.) वृत्त का परिमाप = वृत्त का क्षेत्रफल ÷ (1/2 × वृत की त्रिज्या),
2.) गोला की त्रिज्या = 4 × वृत्त का क्षेत्रफल,
3.) गोला का आयतन = 4/3 × वृत्त का क्षेत्रफल × वृत्त की त्रिज्या,
4.) लैटरल सरफेस ऑफ सिलेंडर = वृत्त का परिमाप × ऊँचाई,
5.) टोटल सरफेस ऑफ सिलेंडर = वृत्त का परिमाप (त्रिज्या + ऊँचाई),
6.) सिलेंडर का आयतन = वृत्त का क्षेत्रफल × ऊँचाई,
7.) शंकु का आयतन = 1/3 × वृत्त का क्षेत्रफल × ऊँचाई ।

इत्यादि।

ध्यातव्य है, इस सिद्धांत को मैंने (सदानंद पॉल) प्रतिपादित किया है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.

7 thoughts on “पाई (π) के उपयोग किए बिना हल संभव ?

  • डॉ. सदानंद पॉल

    महोदय 🙏
    बेहतर से क्या तात्पर्य है ?
    तुलना क्यों ?
    मैंने धागे विधि से ऐसा किया ? जो आप भी check कर सकते हैं !
    शुभ संध्या❤

    • डाॅ विजय कुमार सिंघल

      कोई नयी खोज इसलिए की जाती है कि वह पुरानी खोजों का स्थान ले सके या उनसे अधिक सरल और सुविधाजनक हो। आपके द्वारा बताये गये पाई के मान 19/6 में ऐसा कोई गुण मुझे नजर नहीं आता। फिर भी आपको साधुवाद।

      • डॉ. सदानंद पॉल

        महोदय,
        जो सच रहेगा, टिके रहेंगे ! गुण-अवगुण से परे !
        मैंने एक प्रयोग किया है, सार्थक-निरर्थक से परे, सर !
        सादर प्रणाम🙏

  • डाॅ विजय कुमार सिंघल

    पाई का मान 355/113 माना जाये तो यह दशमलव के चार स्थानों तक शुद्ध आता है अर्थात् 3.1416, जबकि 22/7 से 3.1428 केवल दो स्थानों तक शुद्ध है और 19/6 से 3.1667 केवल एक स्थान तक ही शुद्ध है। कृपया भ्रम पैदा न करें। सही मान का उपयोग करें।

    • डॉ. सदानंद पॉल

      महोदय !
      आपने 355/113 कहाँ से लाये ?
      जब π = c/d होती है, तो मैंने भी धागे विधि से मापन किया ! यह फ़ख्त मेरी अवधारणा है, आप भी दे सकते हैं ! गवेषणा करने के लिए सभी स्वतंत्र हैं, फिर भ्रम की स्थिति क्यों ?
      ध्यान देने योग्य बातें यह है कि parallel π = 19/6 का प्रस्तुतीकरण भारत सरकार के विज्ञान सम्मेलन 2004 में NPL सभागार में हुई थी, फिर मन से भ्रम निकाल π पर वृहदतम शोध कीजिए !

      • डाॅ विजय कुमार सिंघल

        आप यह बताइए कि 22/7 की तुलना में 19/6 कैसे बेहतर है?

        • डॉ. सदानंद पॉल

          महोदय,
          बेहतर से क्या तात्पर्य है ?
          तुलना क्यों ?
          मैंने धागे विधि से ऐसा किया ? जो आप भी check कर सकते हैं !
          शुभ संध्या❤

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