भाषा-साहित्यलेख

बुझती जा रही भारतीय भाषाएँ

नष्ट होती जा रही कई भारतीय भाषाएं, जैसे- प्राकृत, कैथी, अवहट्ट, अपभ्रंश, पालि इत्यादि । भारत की बहुसंख्यक आबादी हिंदी भाषा जानती है और हिंदी भाषा से ही संबंध रखती है।

‘भारतीय भाषा की अनदेखी का सिलसिला’ शीर्षक आलेख में Mr. प्रेमपाल शर्मा ने यह बताया है कि अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय भाषा है, किंतु देश के अंदर जिस तरह से हिंदी का नुकसान हो रहा है।

सिर्फ हिंदी ही क्यों, अन्य भारतीय भाषाओं के अभ्यर्थी जिस तरह से UPSC की परीक्षाओं में कम होते जा रहे हैं । इससे अपने देश में ही प्रचलित भाषाओं की मान्यता को समाप्त कही जा सकती है।

संस्कृत तो कब की ही मर चुकी है ? बिहार में इंटर के सिलेबस से हटा दी गयी है, फिर हम कालिदास जयंती क्यों मना रहे हैं  अन्य दक्षिण भारतीय भाषाएं तो अपनी ही राष्ट्रभाषा ‘हिन्दी’ से लड़ रही है ।

किसी देश की श्रेष्ठ भाषा उनकी अपनी ही भाषा हो सकती है, जो बहुसंख्या में बोली जाती है । इसलिए हिंदी को दयनीय होने से बचाएं।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.