लेख

समझ

“हमारी संस्कृति हमारी विरासत ” ये पम्परा भारत में ही है ।
हमारी संस्कृति में हमको बचपन से बड़ो का आदर , सम्मान करना ,सामने नहीं बोलना गुस्सा नहीं करना ये सब सिखाया जाता है।
हम उनकी इन बातों को मानते है । ऐसा माना जाता है कि हमारे विचार शब्द बनते है । शब्दों को परिवार के संस्कारों से जोड़ा जाता हैं जैसे — अच्छा संस्कारी परिवार है तो विचार अच्छे होंगे और विचार अच्छे होंगे तो वो शब्दों में भी अच्छे होंगे।
हमारा जो आज का युवा वर्ग है वो होते हैं संस्कारी पर जल्दी उग्र हो जाते है ।किसी की भी बात पर सहमत नहीं होते उनको लगता है कि वो सही है।
जरूरी नहीं कि वो जहां सही है वहाँ दूसरा सही हो कब कौन हमारी उग्रता या अच्छाई का फायदा ले या नुकसान पहुंचा दे नहीं मालूम ।
इसलिए सबसे पहले कोई भी रिश्ता बनाने के पहले सामने वाले को अच्छे से जानो समझो फिर दोस्ती करो।
कुछ भी बनाना आसान है लेकिन निभाना बहुत मुश्किल ।
बहुत बार हमारे विचार नहीं मिलते तब हम रिश्ता तोड़ देते है ।
यही गलत है । हमको समझना चाहिए कि विचार सबके अलग हो सकते है ।
जैसे ….. एक परिवार में 6 लोग हैं । मालकिन घर की भोजन बनाने के बाद सबको आवाज़ देती हैं । कोई नहीं आता तो मालकिन नाराज़ हो गई कि मैंने भोजन बनाया कोई नहीं आया ।
पर हम यदि सबके नजरिये से सोचे तो देखे ।
1 बेटी ने सोचा कि पहले अपनी पढ़ाई कर लूं फिर जाती हूँ।
2 बेटा बोला अभी आ जाऊंगा आप करो भोजन।
3 पति सोच रहा को सब आ जाये तो साथ करेंगे।
4,5 सास ससुर बोले आज जल्दी बन गया ।हम ये साई बाबा देख कर जाते है ।

ये सब भोजन बनाने वाली को नही मालूम वो बिना बात जाने गुस्सा हो रही हैं ।
यही हमारे साथ होता है बात एक होती है लेकिन जितने लोग उतने अर्थ होते है ।
जब भी क्रोध आये तो सबके विचार जानो फिर बोले ताकि कोई रूठे नहीं ,रिश्ता टूट न जाये बिना गलती के ।
किसी से भी रिश्ता बनाओ तो उसको निभाओ ।
दिल के रिश्ते हमेशा साथ रहते है । रिश्ते में कोई ऐसा काम नही करो की किसी के भी इज्ज़त पर उंगली उठे ।
शांत रहो बात को समझो अच्छे से समझाओ ।।

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।