कविता

चाह है मेरी

हाँ, मैं मछली हूँ,
तड़पता हूँ ज्ञान के लिए
उस सत्संग के लिए
जहाँ अविरल झरझर अंतरंग की धार हो
विशाल, अखंड स्वेच्छा सागर में
तैरना चाहता हूँ मैं
जहाँ मनुष्यता की बात हो
मनुष्य का विचार हो
जहाँ उत्कृष्ट शोध हो
अखंड भाव की गरिमा हो
वहीं मैं निवास करना चाहता हूँ
जहाँ झूठ न हो
समानता की बात हो
नियमों के साथ चाल – चलन हो
जहाँ मन – वचन – कर्म में भेद न हो
वहीं जोड़ना चाहता हूँ
मैं भी
अपने विचारों को
समाज के हित में
अपनी शक्ति को
नित्य मैं बटोरना चाहता हूँ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।