कविता

व्यंग्य कविता।

अपने वजूद का जब भी सवाल होता है।
वतन का फिर कहां उनको ख्याल होता है।

खूब लूटा जिन्होने वतन को इतने सालों में;
हार गए तो अब मंहगाई पर बवाल होता है।

राजनीति ने जिन्हें कहीं का न छोड़ा फिर;
भूगोल का पूछे कोई तो कैसे मलाल होता है।

हर रोज़ बेतुकी बातें ट्विटर पर बरसती है;
आलीशान बंगले में बैठ क्या ऐसा हाल होता है।

आपसी रंजिश में शब्दों की मर्यादा न लांघो;
आम जनता में यूं अविश्वास बहाल होता है।

है अगर अब भी चिंता वतन की तो कह दो;
एक हैं हम! वतन की आन का सवाल होता है।

जय हिन्द !

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |