लघुकथा

अस्तित्व

पायल,आज अवॉर्ड फंक्शन में पति के साथ नहीं गई थी।उसने पति का साथ हर कदम पर दिया था।वह रात-दिन परिवार की जिम्मेदारी सम्भालने में ही लगी रही।उसने कभी उफ्फ़ तक नहीं की।पति बड़े वैज्ञानिक थे।वह अपनी नई खोज में खोए रहते थे।वह कम पढ़ी-लिखी थी।पर कभी भी उनके काम में दखल नहीं देती थी।बस उनकी जरुरतों का पूरा ख्याल रखती,बिना किसी चाह के।उसे पति की मेहनत पर पूरा भरोसा था कि वह एक ना एक दिन बड़ी खोज करेगें।देश मे उनका मान-सम्मान होगा।इसी एक विश्वास पर उसने अपनी हर इच्छा को तिलांजलि दे रखी थी।इससे ज्यादा उसका वजूद ही क्या था? वह कभी-कभी अपने आप से यहीं सवाल करती थी और अतीत में खो जाती।पति को आज बहुत बड़े मंच पर सम्मानित किया गया था।परिवार में खुशी का माहौल था।सब एक दूसरे को बधाई दे रहे थे।पर वह चुप थीं,हमेशा की तरह।वह परिवार में अपना स्थान, अपना अस्तित्व खोज रही थी।शाम को पति ने घर आते ही उसके गले में फूलो की माला डाल दी।पायल,आज मैंने जो कुछ हासिल किया है। वह सब तुम्हारे ही कारण है।तुमनें अपना अस्तित्व खो कर,समाज में मेरा अस्तित्व स्थापित कर दिया है।पायल ने नम आँखों से पति को गले लगा लिया।क्या आपका अस्तित्व,मेरा अस्तित्व नहीं है?
राकेश कुमार तगाला

राकेश कुमार तगाला

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