गीत/नवगीत

यादों की अलबम

एक चित्र यादों की अलबम से कल निकला बाहर.
उसने हमें दिखाये कितने भूले – बिसरे मंज़र.

याद आ गया घंटों – घंटों
तुमसे बातें करना.
घंटों – घंटों बातें करना
फिर भी जी ना भरना.
चलते-चलते कहना-कल फिर मिलना हमें यहीं पर.
एक चित्र यादों की अलबम से कल निकला बाहर.

वो काॅलेज की कैंटीन में
मिलकर समय बिताना.
एक – दूसरे की वो जूठी
चाय उठा, पी जाना.
फिर झट से वो बिल दे आना काउंटर पर जाकर.
एक चित्र यादों की अलबम से कल निकला बाहर.

कल अलबम से शायद कोई
और चित्र निकलेगा.
मन को ख़ुश कर देगा या फिर
आँखें नम कर देगा.
जब-जब हम तनहा होते हैं ऐसा होता अक्सर.
एक चित्र यादों की अलबम से कल निकला बाहर.

डाॅ.कमलेश द्विवेदी