कविता

सच्ची शिक्षा

यों तो समझा जाता है यह,
शिक्षा का है अर्थ सीखना,
लिखना-पढ़ना-गिनना शिक्षा ,
पर क्या यह ही होता सीखना?

केवल साक्षर बनने से ही,
शिक्षा पूरी कब होती है?
पढ़-लिखकर गुनना भी सीखो,
तब शिक्षा सच्ची होती है.

सच्ची शिक्षा वह है जो,
मानव में सद्गुण उपजाए,
अच्छी नैतिक शिक्षा देकर,
सच्चरित्रता का पाथ पढ़ाए.

शिक्षा भी ऐसी हो जिससे,
रोजी-रोटी भी मिल पाए,
अपने पांव पर खड़े रह सकें,
इज्जत से जग में जी पाएं.

तन-मन दोनों स्वस्थ बनें और
जीवन में खुशियां आ जाएं,
प्रेमभाव से रहना सीखें,
सुसंस्कृत और सभ्य कहाएं.

देश-विदेश की अच्छी बातें,
सीखें-समझें-ज्ञान बढ़ाएं,
इनको जीवन में अपनाकर,
सारे जग को सुख दे पाएं.

जन्मजात गुण विकसित करके,
नवीनता अर्जित कर पाएं,
मानव सामाजिक प्राणी है,
अनुकूलन की प्रतिभा पाएं.

सच्ची शिक्षा वह ही है जो,
मानव को मानवता सिखलाए,
राष्ट्र-एकता, विश्व-एकता,
पाठ पढ़ा जीवन सरसाए.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244