कविता

मै तेरे दिल की सुलगती आग

ना मैं तेरे फसाने का किस्सा
ना तू मेरे हकीकत की कहानी
मै तेरे दिल की सुलगती आग
तू मेरी आंख से बहता पानी
किनारे पे तन्हा बैठा बुढ़ापा
लहरों संग हंसती खेलती जवानी
मैं बर्फीली हवाओ सी सर्द सर्द
तू आइने में जमी सी गर्द गर्द
मेरे रग रग से छलकता ईमान
तेरी नस नस से झलकती बेइमानी
तू शरदी की ढलती हुई शाम
मैं चढती हुई सुबह सुहानी
तेरे शब्द शब्द का मतलब तू
मेरे लफ्ज़ लफ्ज़ में मैं बेमानी
मेरे भीतर ठहराव समंदर का
तेरे भीतर बहती दरिया तूफानी
— आरती त्रिपाठी

आरती त्रिपाठी

जिला सीधी मध्यप्रदेश