इतिहास

जनता के राष्ट्रपति प्रणब दा

जनता के राष्ट्रपति प्रणब दा भी हमें छोड़ चले गए। आमलोगों के पोलटू दा पश्चिम बंगाल के छोटे से गाँव में जन्मे और डाकघर के मुंशी से काम शुरू कर इंदिरा सरकार में प्रणब दा ‘वित्त मंत्री’ थे, किन्तु नरसिंहराव सरकार में डॉ. मनमोहन सिंह ‘वित्त मंत्री’ और जब डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने, तो प्रणब दा फिर ‘वित्त मंत्री’ बने ।

जबकि उन्हें तब प्रधानमंत्री बनने थे, खैर डॉ. मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में ही ‘माननीय’ राष्ट्रपति बने और फिर श्री नरेन्द्र मोदी को ‘प्रधानमंत्री’ तौर पर शपथ दिलाए और जुलाई 2017 में राष्ट्रपति पद से ‘पूर्व’ हो जाने पर प्रथम कार्यकाल के अंतिम वर्ष में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अनुशंसा पर माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने प्रणब दा को वर्ष 2019 में देश के सर्वोच्च अलंकरण ‘भारतरत्न’ से अलंकृत किये।

अलंकरण के अगले वर्ष ही व राष्ट्रपति पद की कार्यावधि पूर्ण होने के तीसरे वर्ष की समाप्ति के एक माह बाद ही यानी 31 अगस्त को 84 वर्ष की अवस्था में पार्थिव देह को छोड़ अनंत यात्रा में निकल गए। राष्ट्रपति भवन को न केवल जनता के लिए अपितु महामहिम उपनाम भी त्याग दिए, ‘आधार कार्ड’ उन्हीं की देन है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.