कविता

नवीन जीवन

चलो चलते हैं फिर से
जीवन की तलाश में
किस अजनबी शहर की
अनजान राहों पर।
चलो फिर से बटोरते हैं
उन ख़्वाबों को
जो टूट कर बिखर गए थे
किसी अनजान शख्स की
बिखरी हुई याद में।
चलो फिर से
उन दिलों को
धड़कना सिखाते हैं ,
जो टूट कर बिखर गए थे
मरती हुई
इंसानियत को देखकर।
चलो फिर से
नवीन जीवन की
तलाश करते हुए,
मानव मे सच्ची मानवता के
भाव भरते है।

— राजीव डोगरा ‘विमल’

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233