गीत/नवगीत

जितना पूजा पाठ कीजिये, माला जपिये नाम की

जितना पूजा पाठ कीजिये, माला जपिये नाम की।
जब तक मन में द्वेष रहेगा, भाव भक्ति किस काम की।।

तन पर संतों वाला चोला, भौतिकता पसरी मन में।
मानव होकर मानवता का, काम किया क्या जीवन में।।
मन में चाहत रंगीनी की, मुख चर्चा ब्रज धाम की…
जब तक मन में द्वेष रहेगा, भाव भक्ति किस काम की…

सच्चाई को छुपा ढ़ोंग में, मिथ्या का औरा ओढ़ा।
औरों को वैराग्य सुनाया, ख़ुद धन के पीछे दौड़ा।।
मोह त्याग की कथा सुनाकर, करी कमाई दाम की…
जब तक मन में द्वेष रहेगा, भाव भक्ति किस काम की…

वो जिसने संसार बनाया, उसके नाम छलावा कर।
भोली जनता को लूटा है, दुख हरने का दावा कर।।
धर्म नाम पर जब तक जेबें, काटोगे जन आम की…
जब तक मन में द्वेष रहेगा, भाव भक्ति किस काम की…

आलौकिकता की बातें कर, भौतिकता में लीन रहा।
कर्मयोग के भाषण देकर, ख़ुद कर्मों से हीन रहा।।
मन का रावण छुपा जगत को, दिखलाकर छवि राम की…
जब तक मन में द्वेष रहेगा, भाव भक्ति किस काम की…

सतीश बंसल
०७.०९.२०२०

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.