कविता

रिश्ता

कुर्सी और पद का मोह
इंसान को कितना गिरा देता है
कि अपनी ही थाली में
अपने ही किए छेद को
कितनी बेशर्मी से
किसी और का बता देता है।
ये बयान बतलाता है कि
फिल्मी दुनियाँ के
नशे के सौदागरों का
देश के बाहर भी
मौत के सौदागरों से
कहीं न कहीं नाता है।
किसी का मौत का
इन्हें अफसोस तक नहीं होता,
इन्हें तो बस अपराध के दलदल
बनाये रखने का ही
बस जैसे शौक होता।
किसी और के
बेटे,भाई,भतीजे,की
मौत का तो बस जैसे
इंतजार होता।
फिल्मी दुनियां के
शहशाहों का मौन,
अपने आप में है
बहुत कुछ कहता।
नशे की दुनियां से
फिल्मी दुनियाँ का
है गहरा रिश्ता।
— सुधीर श्रीवास्तव

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921