कविता

रक्त दान करें श्रीमान

जीवन बनके दौड़ौ हर जिंदगानी में
रक्त से ही जिक्र शुरू है हर कहानी में
मानवता और ,सह अस्तित्व को बढा़यें
करें  “रक्त दान”, दुनिया आनी जानी में
रक्त दान महादान ,मान लें श्रीमान
भर देता नई जान ,मशीन पुरानी में
बना नहीं सकते रक्त, परंतु पाकर दान
जुड़ते प्राण, टूटी सांस की कहानी में
रक्त दान से  जब बनती, नई कोशिकाऐं
आ जाती नई जान, हृदय धौकानी में
रक्त और इंसान ,हो उन्नत ,यदि दें दान
इत जीवन मिले ,उत सूकू रूहानी में
जीवन दायक होगा ,”रक्त दान’ तुम्हारा
भर देगा प्राण ,मरती हुई जवानी में
खौलते हो तुम तो पलट देते हो तख्त
मिट गये हैं ताज तुम्हारी रवानी में
मिंया खूंन पानी हो जाओ यदि तुम तो
मिसाल नई बन जाओ बेईमानी में
— सुनीता द्विवेदी

सुनीता द्विवेदी

होम मेकर हूं हिन्दी व आंग्ल विषय में परास्नातक हूं बी.एड हूं कविताएं लिखने का शौक है रहस्यवादी काव्य में दिलचस्पी है मुझे किताबें पढ़ना और घूमने का शौक है पिता का नाम : सुरेश कुमार शुक्ला जिला : कानपुर प्रदेश : उत्तर प्रदेश