लघुकथा

प्रेम के रंग

राहुल सरकारी दफ्तर में नौकरी करते है और दिसम्बर का अंतिम महीना चल रहा था
राहुल की कुछ छुट्टियां बची हुई थी तो सोचा कि चलो ले लेते हैं वर्ना छुटियाँ बर्बाद हो जाएगी….
और इसी बहाने परिवार के साथ पूरे दिन साथ रहने का मौका भी मिलेगा खाना पीना और मस्ती
राहुल ने पूरे सप्ताह की छुट्टी ली, बेटा अंकुर का भी ठंड से दिल्ली सरकार ने पन्द्रह दिसम्बर तक छुट्टी घोषित कर दी थी
इसबार ठंड भी कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ कहर बरसा रही थी, नेहा सभी के लिए सुबह का नाश्ता दोपहर का खाना और रात का डिनर तैयार करती पर कभी कभी उसका भी मन ठंड से किचन में जाने की इजाजत नहीं देता, पर क्या करें सबके पेट भी तो भरने है और छुट्टी होने से बाप बेटे के खाने में तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन के डिमांड भी बढ़ जाते है शाम के चाय का वक्त था, राहुल और बेटा अंकुर रजाई में बैठकर टीवी प्रोग्राम देख रहे थे । नेहा चाय का कप राहुल के आगे करते हुए बोली “आपलोगों का कितना अच्छा है न, छुट्टी मिल जाती है पर हमारी तो कोई छुट्टी ही नहीं दिन कोई सा भी हो हमें हरदिन काम करने ही हैं राहुल ये सुनकर थोड़ा गम्भीर हुआ नेहा डर गई कि कहीं मेरी बातें बुरी तो नहीं लग गई ! पर ऐसा नहीं था राहुल अपनी बगल की जगह से घसकते हुए नेहा को पास बैठाया और कहा-तुम भी यही हमारे साथ बैठकर चाय पीओ और हां !
जबतक मैं छुट्टी पर हूं शाम की चाय और रात का डिनर मैं ही तैयार करूंगा मैडम जी आज से आपकी हाफ डे छुट्टी हो गई और मेरी हाफ डे ड्यूटी शुरू
रात होते ही राहुल ने सबके लिए खाना भी बनाया और नेहा को गर्मागर्म खाना परोसा भी….नेहा मुस्कुराई बोली आप भी खाइए पर उस वक्त राहुल को भूख नहीं थी उसने कहा मैं थोड़ा रुककर खाऊंगा तुम खाओ और टीवी शो का आनंद लो। आधे घण्टे बाद नेहा राहुल से पूछती है अब खाना ले आऊं ?
राहुल मुस्कुराते हुए बोला मैडम जी आप हॉप डे छुट्टी पर हैं आप आराम करें मैं खाना खुद ले लूंगा।
ये सुनकर नेहा थोड़ी भावुक हो गई और मन ही मन सोचने लगी कि अगर पति पत्नी दोनों एकदूसरे के दुख दर्द को समझे तो ये जिंदगी और भी खूबसूरत हो जाएगी।

*बबली सिन्हा

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