कविता

अनकही व्यथा

बिटिया थी दुलारी
अपने माँ बाबा की
बहना थी प्यारी
अपने भाई बहना की
पर लगी नज़र ऐसी
जकड़ लिया अपने
पंजों में दानवों ने
कर के हरण किया
दुष्कर्म कर कर के
तार तार मासूमियत
और इज़्ज़त मेरी
इतने पर भी न भरा
मन तोड़ दी गर्दन की
हड्डी काट दी जुबान
छोड़ यूँ अधमरा भाग
गए ऊंची जाति के वो
दानव सारे
छोड़ तड़पने और मरने को
इस छोटी जाति की बेटी को
कई दिन हस्पताल में रहने
पर चली चाल ले जाने को
दिल्ली और एक ही दिन में
हो गई खत्म कहानी मेरी
अन्याय पर अन्याय ऐसा
मौत को भी न मिला सम्मान
न साथ अपने परिजनों का
बस जला दिया रातों रातों
तड़पती रही माँ
बिलखते रहे पिता
छटपटाती रही बहन
गुहार लगाता रहा भाई
पर सुनी न सदा किसी ने
पहले दुष्कर्म फिर रहस्यमयी मौत और यूँ मनमानी कर
बिना किसी को बताए जला देना
जात पात और मजहब की राजनीति का आईना
है जिसने खड़े किए कितने
सवाल ताकतवर दरिंदो,सत्ता, प्रशासन, कानून जिसने रचा खेल ये सारा एक मासूम बेटी
के साथ जिसका कसूर भर इतना था थी वो गरीब और निम्न जाति की
क्या इज़्ज़त भी बड़ी छोटी होती है
क्या अपराध का मापदंड भी छोटा बड़ा होता है
क्या गरीब को सज़ा
अमीर को संरक्षण
यही क्या एक बिटिया की नियति है
पूछती  चीख चीख कर हर वी बेटी जो आये दिन होती शिकार इस घिनौने दुष्कर्म का
और पूरा सिस्टम लग जाता फिर उसकी लिपा पोती पर
ये विडंबना नहीं तो और क्या है ??
कौन दिखाए आईना
जात पात, मजहब, राजनीति ,सत्ता, कानून
के इन  मुट्ठी भर ठेकेदारों को
ताकि हो सकें सुरक्षित बेटियां हमारी
— मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |