धर्म-संस्कृति-अध्यात्मभाषा-साहित्य

रोड शो- 11 : बातें मजेदार व ज्ञानवर्धक बातों की

आज बातें मजेदार व ज्ञानवर्धक बातों की करते हैं. ज्ञातव्य है कि इनमें से अनेक मजेदार व ज्ञानवर्धक बातें हमारे प्रबुद्ध पाठक-कामेंटेटर सुदर्शन खन्ना द्वारा प्रतिक्रियाओं में व्यक्त की गई हैं.

ये तो हम सब जानते हैं कि रक्त दान से किसी का जीवन बचाया जा सकता है. लेकिन अगर मैं पूछूँ कि कोई अकेला व्यक्ति अपने जीवन काल में रक्त दान करके कितने लोगों की जान बचा सकता है तो आप 10, 15 या 20 लोगों के बारे में सोचें.लेकिन आपको जानकार आश्चर्य होगा कि australia के the man with the golden arm… 81 वर्षीय james harrison ने 1954 से लेकर 2018 तक 1137 बार ब्लड डोनेट किया और उससे 24 लाख बच्चों की जान बचायी गयी. दरअसल, उनके खून में एक बहुत rare type का ब्लड प्लाज्मा है जो pregnancy के दौरान बच्चों को होने वाली रिसस डिजीज के इलाज में उपयोगी है.और यही कारण है कि वे अकेले ही इतने लोगों की जान बचा पाए.

अगर आपसे पूछा जाए कि दुनिया की सबसे ज्यादा प्रिंट होने वाली बुक कौन सी है तो शायद आप बाइबिल, क़ुरान, गीता या फिर हैरी पॉटर के बारे में सोचें. लेकिन आपको जान कर आश्चर्य होगा कि furniture और home accessories बेचने वाले ikea store का कैटलॉग दुनिया में सबसे अधिक प्रिंट होने वाली बुक का रिकॉर्ड रखता है.लगभग 2 दर्जन भाषाओं में इसकी हर साल 20 करोड़ प्रतियाँ छपती हैं.

अपने होंठ के ऊपर और नाक के नीचे बीच वाली जगह को अपनी अंगुली से धीमे से प्रेस करें। इस जगह को शुईगो स्पॉट के नाम से जाना जाता है। रोजाना इस जगह की 2-3 मिनट तक प्रेस करें। इससे आपका वजन घटेगा।

”सुदर्शन भाई, यह उपाय तो बहुत ही कारगर है. अपनी अंगुली से धीमे से प्रेस करना शुरु करते ही भोजन हज़म होना शुरु हो जाता है और हाजमा सही तो सेहत सही बनी रहती है.”

‘typewriter’ सबसे लम्बा शब्द है जो कि keyboard पर एक ही लाइन पर टाइप होता है।

“rhythm”( रिदम) vowel के बिना इंग्लिश का सबसे बड़ा शब्द है।

ये तो हर कोई जानता है कि ताश के पत्तों में 4 राजा होते हैं. लेकिन एक बात जो कम ही लोगों को पता होती है वो ये कि इनमे से तीन राजाओं के तो मूँछें होती हैं लेकिन एक की नहीं होती…और वो राजा होता है king of hearts. british newspaper the guardian के अनुसार शुरू में इस राजा के भी मूछें होती थीं, लेकिन एक बार जब कार्ड्स को रिडिजाइन किया जा रहा था तब डिज़ाइनर उसकी मूंछे बनाना भूल गया और तबसे किंग ऑफ़ हार्ट्स बिना मूंछों वाला राजा हो गया.शायद आपने कभी ध्यान ना दिया हो उनमे से तीन राजाओं की मूंछे होती हैं
बात मूंछों की चल निकली है तो मूंछों पर कुछ और बातें हो जाएं!

‘मूंछें हों तो नत्थूलाल जैसी’————
कादर खान न होते तो अमिताभ कभी न कह पाते ‘मूंछें हों तो नत्थूलाल जैसी’—
कादर खान ने अपनी एक्टिंग से दर्शकों पर जिस तरह की छाप छोड़ी. कुछ उसी तरह का प्रभाव उन्होंने अपनी कलम से भी छोड़ा. अगर आप उनके इस पहलू से अनजान हैं तो बता दें कि कादर खान बतौर डायलॉग राइटर भी काम किया करते थे.मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा के साथ मिलकर कादर खान ने कई फिल्मों के ऐतिहासिक डायलॉग लिखे. कादर खान के लिखे वन लाइनर्स और दमदार डायलॉग्स ने अमिताभ बच्चन की चमक बढ़ाने का काम किया.

‘मूंछें हों तो नत्थूलाल जैसी’। जब कभी कोई अमिताभ बच्चन की फिल्म शराबी का यह मशहूर डायलॉग बोलता है तो जेहन में इसी फिल्म के एक कैरेक्टर की नत्थूलाल की तस्वीर उभरती है। फिल्म में इस कैरेक्टर की मूछें बेहद लंबी थीं। लेकिन रियल लाइफ में 58 साल के गिरधर व्यास की मूछें ‘नत्थूलाल’ से कई गुनी लंबी हैं। गिरधर व्यास साल 1985 से अपनी मूंछें बढ़ा रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनकी मूछें शायद दुनिया में सबसे लंबी हैं। जानकारी के मुताबिक गिरधर व्यास की मूछें 22 फीट लंबी हैं और वो अपना नाम गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराना चाहते हैं।इन मूंछों को सवारने और उनमें तेल लगाने में हर रोज उन्हें 3 घंटे का वक्त लगता है। गिरधर व्यास राजस्थान के बीकानेर के रहने वाले हैं। गिरधर व्यास का दावा है कि उन्होंने कभी भी साबुन या शैम्पू का इस्तेमाल इन मूछों पर नहीं किया है। उनका कहना है कि वो इन मूंछों पर सिर्फ मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं।

मूंछें हों तो एल्मार वाइसेर जैसी’मूंछें हों तो नत्थूलाल जैसी’ शानदार किस्म की मूंछें रखने वालों पर बॉलीवुड का यह फिल्मी डायलॉग आज भी मारा जाता है. लेकिन एल्मार वाइसेर इसे बदल रहे हैं. उन्होंने तीसरी बार दाढ़ी और मूंछों की वर्ल्ड चैंपियनशिप जीत ली है.

मूंछें विंग कमांडर अभिनंदन की भी बहुत सराही गईं. बहुत-से लोगों ने उनके जैसी मूंछें रखने में अपना मान-सम्मान समझा. पाकिस्तान की असेंबली में विंग कमांडर अभिनंदन को लेकर हुए जिक्र के बाद पड़ोसी मुल्क की पोल खुल गई है. खुद पाकिस्तान ने दावा किया कि कैसे उसने डर के कारण अभिनंदन को छोड़ा था.

90 के दशक की चर्चित हिन्दी फिल्म शराबी का मशहूर डायलाग ‘मूंछे हो तो नत्थूलाल जैसी वरना न हो’ ने यहां हजारों लोगों के चेहरों पर मुस्कान ला दी जब बदलापुर महोत्सव में इसी डायलाग पर आधारित अनूठी प्रतियोगिता में 18 से अधिक मूंछधारियों में हिस्सा लिया। जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह की पहल पर शानदार मूंछे रखने वालो की प्रतियोगिता कराया गया है। मंगलवार देर शाम आयोजित प्रतियोगिता को देखने भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। भीड़ में शामिल तमाम युवा शराबी फिल्म का डायलॉग दोहराते रहे। इस प्रतियोगिता का खिताब पलईराम को मिला जबकि पीआरडी जवान ओमप्रकाश यादव ने दूसरा और पुलिस विभाग के सुभाष चंद्र मौर्या को तीसरा स्थान मिला। इसके अलावा चार मूंछ धारियों को सांत्वना पुरस्कार दिया गया।

सत्तर के दशक में पर्दे पर आते ही अमिताभ की जुबान से जैसे पहला वाक्य निकलता और पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता था। फिल्में रिलीज हुए बरसों बीत चुके मगर उनके डॉयलाग लोगों को आज भी याद हैं। आज हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं अमिताभ के दस चुने डॉयलाग। जो आज भी न सिर्फ लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं बल्कि हम मुहावरों की तरह इन्हें जब-तब इस्तेमाल भी करते रहते हैं।

1.हम भी वो हैं जो कभी किसी के पीछे खड़े नहीं होते, जहां खड़े हो जाते हैं लाइन वहीं शुरु होती है…- कालिया
2.विजय दीनानाथ चौहान पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उमर 36 साल, नौ महीना आठ दिन सालवां घंटा चालू है – अग्निपथ
3.हां, मैं साइन करूंगा, लेकिन… जाओ पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ जिसने मेरे हाथ में ये लिख दिया था, उसके बाद ….. – दीवार
4.दैट आई कैन अंग्रेज लीव बिहाइंड, आई कैन टॉक इंग्लिश, आई कैन वॉक इंग्लिश, आई कैन लॉफ इंग्लिश, बिकोज इंग्लिश इज ए वैरी फन्नी लैंग्वेज – नमक हलाल
5.जब तक बैठने को न कहा जाए शराफत से खड़े रहो, ये पुलिस स्टेशन है, तुम्हारे बाप का घर नहीं, इसीलिए सीधी तरह खड़े रहो – जंजीर
6.तुम लोग मुझे ढूंढ रहे हो और मैं तुम्हारा यहां इंतजार कर रहा हूं… इसे अपनी जेब में रख ले पीटर, अब ये ताला मैं तेरी जेब से चाबी निकाल कर ही खोलूंगा – दीवार
7.मूंछें हो तो नत्थूलाल जैसी, वरना ना हों -शराबी
8.डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है – डॉन
9.तुम्हारा नाम क्या है… बसंती – शोले
10.मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता – दीवार

उपयोगी भाषा—

अंग्रेजी में तो केवल एक ही शब्द है – *’LEG’*

*और हिंदी में -*

छू लो तो *चरण*,
अड़ा दो तो *टाँग*,
धँस जाए तो *पैर*,
आगे बढ़ाना हो तो *क़दम*,
राह में चिह्न छोड़े तो *पद*,
फूलने लगें तो हाथ – *पाँव*,
गर्भधारणी हो तो भारी *पाँव*,
प्रभु के हों तो *पाद*,
बाप की हो तो *लात*,
गधे की पड़े तो *दुलत्ती*,
घुंघरू बाँध दो तो *पग*,
खाने के लिए *टंगड़ी*,
खेलने के लिए *लंगड़ी* …

*इतनी उपयोगी भाषा आपने देखी दूसरी?*

बातें मजेदार व ज्ञानवर्धक बातों की में आज बस इतना ही. शेष बातें फिर कभी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244