सामाजिक

गाढ़ा प्रेम

स्त्री-पुरूष के प्रेम में वस्तुत: प्रेम तो औरत ही करती है, पुरुष तो प्रेम का भोग करता है । पुरुष में देने का भाव नहीं होता ! वह सिर्फ स्त्री से पाना चाहता है। प्रेम के इस लेने-देने वाले भाव में स्त्री का अस्तित्व दांव पर लगा है। वह अपना दांव पर सब-कुछ लगा देती है और सतह पर हारती नजर आती है, किंतु वास्तविकता यह है कि जीवन में जीतती स्त्री ही है, पुरुष नहीं!

प्रेम में आप जिसे चाहते हैं, उसके प्रति अगर देने का भाव है तो यह तय है कि जो देगा उसका प्रेम गाढ़ा होगा, जो निवेश नहीं करेगा, उसका प्रेम खोखला होगा । प्रेम में भावों,  संवेदनाओं, सांसों का निवेश जरूरी है ।
प्रेम का मतलब कैरियर बना देना, रोजगार दिला देना, व्यापार करा देना नहीं है, अपितु ये तो ध्यान हटानेवाली रणनीतियां हैं, प्रेम से पलायन करने वाली चालबाजियां हैं।

प्रेम गहना, कैरियर, आत्मनिर्भरता इत्यादि नहीं हैं ।  प्रेम सहयोग भी नहीं है । प्रेम सामाजिक संबंध है, उसे सामाजिक तौर पर कहा जाना चाहिए, जीया जाना चाहिए। प्रेम संपर्क है, संवाद है और संवेदनात्मक शिरकत है।

प्रेम में शेयरिंग केन्द्रीय तत्व है। इसी अर्थ में प्रेम साझा होता है, एकाकी नहीं होता। सामाजिक होता है, व्यक्तिगत नहीं होता ! प्रेम का संबंध दो प्राणियों से नहीं है, बल्कि इसका संबंध इन दो के सामाजिक अस्तित्व से है। प्रभा खेतान और सीत मिश्रा के प्रसंगश: !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.