कविता

मेरे राम

रघुकुल भूषण सिया राम की
शोभा मुख वरणी न जाये
फूले फिरत अयोध्या वासी
हर्षित उर आनंद मनाये

जनम भयो जा दिन दशरथ घर
चारों दिश अति मंगल छाये
धरती अम्बर हर्षित अतुलित
शिव शंकर जी शीश नवाये

घूमत रघुबर कनक आँगना
शुभ मस्तक पे शिखा सजाये
पैरों रजत बँधी पैंजनियाँ
खग कागा संग खेल रचाये

कर में शोभित अति धनुष बाण
मन में मंद मंद मुस्काये
नृप दशरथ अति पुलकित होकर
मोहक छवि रघुवीर लखाये।।

— अनामिका लेखिका

अनामिका लेखिका

जन्मतिथि - 19/12/81, शिक्षा - हिंदी से स्नातक, निवास स्थान - जिला बुलंदशहर ( उत्तर प्रदेश), लेखन विधा - कविता, गीत, लेख, साहित्यिक यात्रा - नवोदित रचनाकार, प्रकाशित - युग जागरण,चॉइस टाइम आदि दैनिक पत्रो में प्रकाशित अनेक कविताएं, और लॉक डाउन से संबंधित लेख, और नवतरंग और शालिनी ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित कविताएं। अपनी ही कविताओं का नियमित काव्यपाठ अपने यूटयूब चैनल अनामिका के सुर पर।, ईमेल - anamikalekhika@gmail.com