कविता

काश ! मैं प्रधानमंत्री होता

काश ! मैं देश का
प्रधानमंत्री होता
तो
पाक को आखिरी सबक सिखाता
फिर भी न मानता
तो इतिहास में रह जाता।
जाति धर्म का भेद मिटाता
आरक्षण हटाता,
हर गरीब को शिक्षा के लिए
आर्थिक सुविधा का कानून बनाता
मजहब के नाम पर
फूट डालने वालों
दंगा करने/कराने वालों को
आजीवन कैद का
कानून बनाता।
देश विरोधी बयान या कृत्य वाले कोधिक
नागरिक अधिकार छीन लेता।
हर जन प्रतिनिधि की
जवाबदेही तय करता।
जनता को चुने जन प्रतिनिधियों को
वापस बुलाने का अधिकार देता।
नाम के साथ जाति लिखना
बंद करा देता।
एक देश,एक विधान,एक संविधान
सख्ती से लागू करता।
बहन बेटियों से जो भी करता
अनाचार/अत्याचार
उसको जीवनभर जेल में
रखने का प्रावधान करता।
नकसलियों, आतंकवादियों,
उपद्रवियों को
सीधे गोली मारने का फरमान सुनाता।
पूरे देश में गौहत्या पर रोक का
कानून बनाता।
समान नागरिक संहिता और
जनसंख्या नियंत्रण बिल पास कराता।
जनता की आवाज बनता
सबके हित में काम करता,
भ्रष्टाचारियों को धन संपत्ति से
मुक्त रखने का कानून बनाता,
काश !मैं देश का प्रधानमंत्री होता।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921