लघुकथा

लघुकथा – बाजारवाद

” देखो बहू बच्चों को अच्छा आहार अच्छा पोषण देना जरूरी है ताकि वे स्ट्रांग बने।”  सासु मां बहू से कह रही थीं।
“हाँ मां जी ,अब हमें बच्चों को स्ट्रांग बनाने के साथ-साथ उनके इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाने के लिए भी प्रयास करना पड़ेगा ताकि भविष्य में कोरोना जैसे कोई महामारी आये तो हमारे बच्चे उनका डटकर मुकाबला कर सकें।” बहू ने कहा।
“हां बहू,अब तो पता नहीं हमें प्रकृति का कौन-कौन सा कहर सहना पड़ेगा।आजकल के बच्चों का तो इम्यूनिटी सिस्टम बड़ा खराब है।क्या करें ,अब के बच्चे पिज्जा, बर्गर,चाऊमीन खा-खा के अपना सेहत बर्बाद कर चुके हैं।अब उन्हें कौन समझाए?”
     सासु मां ने लम्बी सांस भरते हुए कहा। तभी टी.वी. पर मैगी का विज्ञापन देखकर मुन्ना मैगी खाने की जिद्द कर रोने लगा। उसे चुप कराते हुए बहू ने कहा,”रो मत मेरा राजा बेटा,सिर्फ दो मिनट हाँ, अभी मैगी बना कर लाती हूँ।”
बहू की यह बात सुनकर सासु मां सोचने लगी कि बाजारवाद और विज्ञापन आज सब पर भारी पड़ गया है।
— डॉ. शैल चन्द्रा

*डॉ. शैल चन्द्रा

सम्प्रति प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक शाला, टांगापानी, तहसील-नगरी, छत्तीसगढ़ रावण भाठा, नगरी जिला- धमतरी छत्तीसगढ़ मो नम्बर-9977834645 email- shall.chandra17@gmail.com