गीत/नवगीत

जीवन पथ पर मिलकर चलना

नहीं आए थे,  अकेले जग में,  नहीं, अकेले जाना है।
जीवन पथ पर, मिलकर चलना, सबका साथ निभाना है।।

मात-पिता ने जन्मा, पाला।
संबन्धों का, मधुर था, प्याला।
पल भर को न अरक्षित छोड़ा,
माता, बहिन, बुआ या खाला।
पग-पग राह, दिखाते साथी, साथ में चलते जाना है।
जीवन पथ पर, मिलकर चलना, सबका साथ निभाना है।।

सिर पर रहा, पिता का साया।
संकट कभी, पास नहीं आया।
गलतियों पर, रोका-टोका,
मौन प्रेम था, कभी न गाया।
जीवन दाता,  पीछे छूटे,  काम का,  नया ठिकाना है।
जीवन पथ पर मिलकर चलना, सबका साथ निभाना है।।

जीवन साथी, कपट की थाती।
आकर्षण को, ये, प्रेम बताती।
कामना काम की, पूरी न हो जब,
पगड़ी उछाले, है  दिन राती।
ताल न, कभी मिलाती है, वो, गाती अपना गाना है।
जीवन पथ पर मिलकर चलना, सबका साथ निभाना है।।

जीवन क्या, और साथी कैसा?
सबको प्यारा, होता पैसा।
संतानें आगे बढ़ जातीं,
कहती हैं, फिर, ऐसा-वैसा।
जो बोया है, काटेगा वही, बन्दे क्या पछताना है?
जीवन पथ पर मिलकर चलना, सबका साथ निभाना है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)