कविता

माँ के नाम से गाली बकनेवाले ‘कलंकित’ लोग

सभी स्वार्थी हैं,
अन्यथा सिर्फ़
घर्षण के लिए शादी
और अपने ही वीर्य के
बच्चे क्यों चाहिए हमें ?
‘गोद’ लेकर अनाथ बच्चों का
जनसंख्या कम कीजिए !
गाँवों ही नहीं,
शहरों के दबंग
और नेतानुमा लोग
‘माँ’ के नाम पर
गाली बकते हैं,
जैसे- मादर..
उस जैसे लोग
‘मदर्स डे’ के लिए
कलंक हैं !
जो बेटे माँ से
अलग रहते हैं,
जो पतोहू सासु माँ से
अलग रहती हैं,
वे ‘मदर डे’ नहीं,
‘मर्डर डे’ मना रहे होंगे !
नियोजित शिक्षक
बुलेट पर चलेंगे,
उनके बच्चे
प्राइवेट स्कूल में पढ़ेंगे
यानी गरीबी दिखती नहीं !
फिर माननीय कोर्ट
दोषी कहाँ ?

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.