कविता

चीन की चालाकी…

गोला बारूद ना परमाणु ना गन मशीन ।
बायो केमिकल से हमला किया है चीन ।।
ये कुदरत का क़हर नहीं मुज़रिम है चीन ।
मानव जीवन ध्वस्त सन्नाटा और ग़मगीन ।।
तीसरा विश्वयुद्ध छेड़ दिया है नापाक चीन ।
मानव सभ्यता में जुर्म किया है बड़ा संगीन ।।
नाम कोरोना किया इंसानियत की तौहीन ।
अब तो आने लगा है बेरहम देश से  घीन ।।
सभी देश एक होकर बदला लेना है गिन गिन ।
तभी हमारा जीवन होगा   उज्जवल नवीन ।।
— मनोज शाह ‘मानस’ 

मनोज शाह 'मानस'

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