हाइकु/सेदोका

हाइकु-दूरदर्शन

दूरदर्शन
नाम के अनुरूप
दूर दर्शन।
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बुद्धू बक्सा ये
था कहलाता रहा
सहता जाता।
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देखते हम
थे एक साथ मिल
सदाबहार।
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पर्याय बना
रामायण का यही
दूरदर्शन।
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महाभारत
मिलकर देखे हैं
उन दिनों में।
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समाचारों के
था इकलौता स्रोत
ये बुद्धू बक्सा।
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सिनेमा देखा
काला सफेद सही
खूब प्यार से।
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कृषि दर्शन
खेत खलिहान से
रोचक वार्ता।
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देशी विदेशी
खबरें दिखाता था
खूब जचता।
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भक्ति संगीत
से श्रीगणेश होता
रोज सुबह
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वजूद खोता
आज इसका स्वयं
विचारणीय।
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खतरे में है
अस्तित्व भी इसका
बचाना होगा।
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स्मृति शेष तो
नहीं हो जायेगा ये
दूरदर्शन।
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आशंकित हूँ
आधुनिकता में ये
खोने का डर।
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*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921