कविता

नदियाॅं

कल -कल ध्वनि मृदुल सुनातीं नदियाॅं ।
घर्र-घर्र कर बरसात में डरातीं नदियाॅं ।।
इठलातीं / बलखातीं / इतरातीं नदियां !
मीलों सफर तय करतीं नदियां ।
ये कभी नहीं थकती नदियां ।।
अमर कहानी कहतीं /
कर्म निरंतर करतीं /
गतिमय रहो सिखातीं नदियां !
सदा अविरल बहती रहतीं नदियां ।
जग का उपकार करती रहतीं नदियां ।।
वेद- पुराण सब महिमा गाते नदियां ।
भारत में देवी सम पूंजी जातीं नदियां ।।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111