कविता

मैं कौन हूँ?

प्रश्न कठिन है ये कह पाना
कि मैं कौन हूँ?
कोई भी विश्वास से कह नहीं सकता
कि मैं कौन हूँ?
पर दंभ में चूर होकर
जाने कितने यह तो कहते हैं
तुम्हें पता भी है कि मैं कौन हूँ?
धमकी से दबाव बनाने का
भौकाल जरूर बनाते हैं,
परंतु सच में मैं कौन हूँ का
अहसास कहाँ कर पाते।
यह विडंबना नहीं तो क्या है?
मैं कौन हूँ के नाम पर
रोब गाँठते फिरते हैं ,
यह जानने की जहमत तक
नहीं उठाना चाहते कि
कि वास्तव में मैं कौन हूँ।
मैं कौन हूँ यह जानना
बड़ा ही मुश्किल है,
फिर भी खोज में लगा हूँ
शायद अगले…अगले या फिर
अगले पलों में ही सही
यह जान तो सकूँ
कि मैं कौन हूँ।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921