कविता

पूर्वाग्रह

हमने समझा जिसे साधू
वो तो शैतान निकला,
दुत्कारा था जिसे उस दिन बहुत
इंसानरूपी वो तो भगवान निकला।
आँखें खूल गयीं मेरे
उतर गया पूर्वाग्रह का बुखार,
समझ में एक झटके में आ गया मेरे
पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर
न किसी का आँकलन कर।
आप भी संदेश मेरा साफ सुन लो
पूर्वाग्रहों से दूरी बनाकर चलो,
पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर
किसी को बदनाम मत करो।
आँखें बंदकर न किसी पर
विश्वास ही करना,
बिना जाने ,बिना समझे,बिना परखे
किसी को दोस्त, दुश्मन
या हमदर्द समझना।
सच कहूँ तो पूर्वाग्रह
ऐसी बीमारी है,
जो औरों पर शायद कम
हम पर ही पड़ती भारी है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921