सामाजिक

वर्तमान समाज

जैसा कि हम सभी जानते हैं “सामाजिकता” समाज शब्द से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है “समाज के भाव ” !
अगर हम वर्तमान समाज में “सामाजिकता” की बात करे तो  स्थित उतनी ठीक नहीं है लोगो की आपस में एकजुटता नहीं है, महिलाएं सुरक्षित नहीं है, समाज मे असामाजिक तत्वों का समावेश इतना ज्यादा हो गया हैं कि लोग मानवता को भूलने लगे हैं और अपने आप ही ही सीमित होने लगे हैं ,यदि लोग अपने आप मे सीमित होने लगेंगे तो हम किस समाज की कल्पना कर सकते हैं| प्राचीन समय में ऐसा नही था तभी लोग आपस मे सहयोग करके ,विचार विमर्श करके अपनी समस्याओं का हल निकलते थे और अपने साथ- साथ समाज के लोगों को भी आगे लाने में तत्तपर रहते थे ,तभी  लोगों में एकता थीं सभी अपना काम मिलजुल कर करते थे औऱ अपनी अपनी समस्याओं को हल करते थे |
आज समाज में महिलाएं असुरक्षित  महसूस इसलिए करती हैं क्योंकि यहाँ लोगो की मानसिकता ये हो गई है कि हमे सिर्फ अपनी माँ और बहन को सम्मान देना है और  वो यही करता हैं , बस इसी सोच को बदलना है तभी महिलाएं सुरक्षित होंगी|
आज हमारे समाज में दिखावे के प्रचलन बहुत तेजी से फैल रहा है लोग अपने आप को अपने अस्तित्व से ज्यादा दिखाने का प्रयास करता है जिससे लोगो मे आर्थिक कमजोरी का सामना करना पड़ रहा हैं | आज के समाज मे लोग मित्रता या सम्बंध उन्ही लोगों से स्थापित करना चाहते हैं जो उनके मामले में आगे हो बड़े हो ,और समाज के कमजोर परिवार या गरीब परिवार औऱ ज्यादा हासिए पर जा रहे हैं |
आज के समाज मे बहुत सी कुरीतियों हैं जो समाज को अंदर ही अंदर खोखला कर रही हैं जिससे समाज में लोगों के बीच सम्बंध अच्छे नहीं रहने लगें हैं औऱ मानवता , भाईचारे, सहयोग  जैसी चीजों का हनन हो रहा है जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है| अगर हमें लोगों को और समाज को आगे बड़ाना हैं तो हमें सबसे पहले लोगों के मन से  वो सारी सोच बदलने होगा जो समाज के हित में नही है औऱ उसे समाज हित मे बातें बतानी होगी तभी समाज ओर समाज के लोग आगे बड़गे |
—    फूल कुमारी

फूल कुमारी

गोड्डा, झारखंड