कविता

दूसरे पर दोष मढ़ना शग़ल हो गई हमारी

ये लड़कियाँ और लड़के
‘रंग’ देखकर ही प्यार करते हैं,
फिर भी हम और संविधान
जोर देकर कहते हैं-
भारत में रंगभेद नहीं है !
‘सुख’ तो ‘शारीरिक’ ही होती है,
‘मानसिक’ तो ‘संतोष’ होती है
और गरीब व्यक्ति
मन मसोसकर रह जाते हैं
कि उनके लिए
‘संतोष’ ही परम धन है !
प्यार है फ़ख़त,
पानी के बुलबुले !
देखने में सुंदर,
पर छुओ तो खतम..
कवि पूर्व प्रधानमंत्री
वी पी सिंह कहिन।
अब जब-जब होती बारिश,
गाँवों में भी तबाही मचाती !
और शहर में वो आकर तो
गंदगी ही फैलाती !
बारिश और रुमानियत
साथ-साथ,
सूरज को
रोज-रोज देख ही लिए,
पर ‘इंद्रधनुष’ देखे –
बरसों हो गए !
हम मसीहा नहीं हैं,
मसिजीवी हैं !
महिलाएं ‘फॅमिनिज़्म’ की
बात करेंगी,
किन्तु अधिकांश महिलाएं
पिता और पति के नाम-उपनाम
चस्पाए रखेंगी !
कहने पर कहेंगी-
ये नारीविरोधी !
लोग दूसरे की सुंदरता को
अपनी नजरों से देखते हैं !
पर खुद की सुंदरता को
निर्जीव वस्तु ‘आईना’ के सहारे
सिर्फ़ निहार ही सकते हैं !
दोषी स्वयं हैं हम !
दूसरे पर दोष मढ़ना
शग़ल हो गई है हमारी
यानी हम भी हैं हरामखोर !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.