कविता

कविता

धन दौलत की चाहत तो
सबको होती है
सही मार्ग अपनाकर
हम सम्पदा बनाएं
बहुत कमाई के चक्कर में
उलझ गए तो
संभव है ऐसी दौलत
कुछ काम ना आए ।।

काला बाजारी, रिश्वतखोरी
‌ बड़ी बीमारी
इससे बचें खुद
देश को भी इससे बचाएं
सभी करों का करें हम
भुगतान समय से
देश की विकास यात्रा में
भागीदारी निभाएं ।।

अधिक धन के लालच में
न खुद को गिराए
आदर्शों और जीवन मूल्यों
से राह सजाएं
थोड़ा सा ख्वाहिशों पर
रखकर नियंत्रण
जितना है उतने में
खुश हों, मौज मनाएं ।।

जो भी धन या साधन
अपने पास सुलभ हैं
उनको ही पर्याप्त समझ
योजनाएं बनाएं
थोड़े साधन, वंचितों गरीबों
में भी खर्च कर
उनके बुझे चेहरों पर भी
मुस्कान खिलाएं ।।

— सुधा अग्रवाल

सुधा अग्रवाल

गृहिणी, पलावा, मुम्बई