गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

पूरा हमने वक्त गुजारा, हमको कोई अफसोस नहीं
कोई अब करले जो किनारा, हमको कोई अफसोस नहीं

बूढ़े नीम हैं हम आँगन के, कटवा दो या ले लो छाँव
सोच-समझना काम तुम्हारा, हमको कोई अफसोस नहीं

फूल नये शाखों पर आये, महक उठा खुशबू से चमन
दूर से देखा हमने नजारा, हमको कोई अफसोस नहीं

दिन दूना और रात चौगुना, खुशियों का साम्राज्य बढ़े
करना दुआ है काम हमारा, हमको कोई अफसोस नहीं

जीवन भर हमने लोगों को, ‘शान्त’ यथोचित मान दिया
क्या खोया क्या हमन पाया, हमको कोई अफसोस नहीं

— देवकी नन्दन ‘शान्त’

देवकी नंदन 'शान्त'

अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, बिजली बोर्ड, उत्तर प्रदेश. प्रकाशित कृतियाँ - तलाश (ग़ज़ल संग्रह), तलाश जारी है (ग़ज़ल संग्रह). निवासी- लखनऊ