कविता

अंतिम यात्रा

कड़ुआ पर सच है
जीवन में अनगिनत यात्रियों
के बाद हमें अंतिम यात्रा पर
जाना ही होगा,
हम लाख इस सत्य से दूर भागते रहें
सच से मुंह छुपाते भागते रहें
पर बच नहीं पायेंगे,
अंतिम यात्रा से मुक्त होने का मार्ग
या छुपने का स्थान भला कहाँ पायेंगे?
जो आया है वो जायेगा भी
जन्म संसार की यात्रा का शुभारंभ है
मृत्यु इस संसार से विदाई संग
अंतिम यात्रा का निश्चित अनुबंध है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921