राजनीति

आज फिर विभीषण जाग उठा

पंजाब की राजनीति आज कल कुछ ज्यादा ही प्रवाही हो गई हैं।कैप्टन अमरिंदरसिंह की अवमानना और उनके मुख्यमंत्री पद को छोड़ना सब का पंजाब के जनमानस पर बहुत गहरा असर पड़ा हैं।ये सब हुआ हैं कपिल शर्मा के शो से निष्कासित और बीजेपी से भाग कर आए अति महत्वाकांक्षी बोल से गोल करने की इच्छा रखने वाले क्रिकेट की दुनियां में भी अपने अति परक्रमों की श्रृंखला के बाद राजकरण में पदार्पित श्री श्री सिद्धू जी की वजह से।मुख्य मंत्री बनने की चाह में पंजाब की राजनीति में भूचाल लाने के बावजूद चन्नी जी मुख्य मंत्री बने किंतु पंजाब में कांग्रेस की साख को ताक पर रख दी इन दोनों नेताओं ने।बहुत घटनाएं घटी किंतु प्रधान मंत्री की सुरक्षा में सेंध के बाद लाख बचावों के बाद भी उनकी छवि सही नहीं हो रही थी।
दूसरी ओर अकाली दल से नाता छूट ने बाद बीजेपी का वर्चस्व पंजाब ने कम हो गया हैं।आतंकवाद के समर्थक और नशे के व्योपारियों ने पंजाब को अपने शिकंजे में पकड़ रखा हैं ,जिससे छुड़वा ने के लिए कोई मातबर मुख्यमंत्री की जरूरत हैं ,जो आज कहीं भी नजर नहीं आ रहे।आम आदमी का थोड़ा महत्व दिख रहा था मुफ्त मुफ्त के एजेंडे के साथ लेकिन उनके लिए दो प्रश्न हैं एक तो पंजाब के बाहर के बंदे को मुख्य मंत्री के पद पर आसीन होते जनता नहीं देख पाएगी और दूसरा उनका अलगाववादी संगठनों से नाता ,जिसकी वजह से पंजाब की राजनीति में पहुंच कर भी नहीं पहुंच पा रहे हैं केजरीवाल। उनको दिल्ली के मुख्यमंत्री से बड़ा पद पंजाब के मुख्यमंत्री बनने का हैं इसी तमन्ना में सभी हथकंडे आजमा के ओपिनियन पोल में अपने दल को अग्रसर कर के भी अब पीछेहठ हो रही हैं।क्योंकि उन्हीं के विभीषण ने उनको पराजित कर दिया हैं।उनकी मंशा को सब के सामने उजागर कर के रख दिया हैं।मुख्य मंत्री तब बनेंगे जब चुनाव में जीतेंगे लेकिन अलगाववादी से सहारा ले कर और उनको सहारा दे कर तो आजाद देश के प्रधानमंत्री बन जाएंगे ये केजरीवाल का अपना वक्तव्य था।जिसे कुमार विश्वास ने जग जाहिर कर केजरीवाल की मैली मुरादों को उजागर कर गया हैं।अब तो पंजाब की जनता ही हैं जो तय करेगी कि आतंकवाद का समर्थक और नशेड़ी तंत्र चाहिए या एक सुव्यवस्थित राज्य चाहिए।
— जयश्री बिरमी

जयश्री बिर्मी

अहमदाबाद से, निवृत्त उच्च माध्यमिक शिक्षिका। कुछ महीनों से लेखन कार्य शुरू किया हैं।फूड एंड न्यूट्रीशन के बारे में लिखने में ज्यादा महारत है।

One thought on “आज फिर विभीषण जाग उठा

  • *गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    आज के पंजाब के हालात बहुत तरसयोग दिखाई दे रहे हैं . मुद्दों की बात कम लेकिन एक दुसरे पर कीचड़ फैंकने की होली चल रही है . जिस ओर किसी को फायदा दीख रहा है , फट से दल बदली कर लेते हैं . जनता के लिए कम, अपने खुद के लिए ज़िआदा . अब किसान यूनियन के लीडर भी मैदान में कूद पढ़े है जो होना नहीं चाहिए था .यूनियन तो सिर्फ हक और बेइंसाफी के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने के लिए होती है . पंजाब के लोग नशे के आदी हो कर बर्बादी के रास्ते पर चल पड़े हैं .किसान, कर्जे में डूब कर आतम हत्याएं कर रहे हैं . जिस को कोई काम नहीं मिलता, वोह बाबा संत का रूप धारण कर लेता है, इस को कह सकते हैं शांतिपूर्ण लूट . पढ़ी लिखी जनता अन्धविश्वासी हो चुक्की है . जैसे किसी का फैमिली डाक्टर होता हैं, इसी तरह हर एक का कोई न कोई बाबा संत गुरु है . बाहर बैठे पंजाब के हालात देख कर अपना माथा पीट रहे हैं कि लोग शराब के लालच में ही अपना कीमती वोट दे रहे हैं . पंजाबी का एक गीत है , की बनूँ दुनिया दा, सच्चे पातशाह वाहिगुरू जाणे .

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