कविता

मेरी कलम

ऐ कलम,मेरी कलम,
करूँ मैं तुझको नमन।
ऐ कलम………………
तुझसे विनती है खास,
 करूँ लिखने का प्रयास।
तब  देना  तुम  साथ,
सदा  रहना  मेरे  हाथ।
ऐ कलम…………………
मेरी लेखनी में हो दम,
रहे  न   कोई   भ्रम,
पढ़कर मेरे विचार,
सुखमय हो संसार।
ऐ कलम…………….
भरकर उमंगो का रंग,
लेकर अपनों का संग।
रहे  कोई  न  उदास,
पूरी हो सबकी आस।
ऐ कलम………………
मिले ज्ञान का प्रकाश,
रच  दूँ  मैं   इतिहास।
मिटे  बैर  का  भाव,
बढ़े मैत्री का प्रभाव।
ऐ कलम……………..
सकारात्मक हो विचार,
करूँ  इसका  प्रसार।
रच दूँ सुंदर कोई गान,
बने जो मेरी पहचान।
ऐ कलम……………..
एक-एक शब्द में हो दम,
रुके न कभी मेरी कलम।
देना   सदा  मेरा  साथ,
थामे रखना मेरा हाथ।
ऐ कलम……………….
— कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

कुमकुम कुमारी "काव्याकृति"

मुंगेर, बिहार