गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कुछ देना है तो डर नहीं हौसला दो ।
जिंदगी जीने की एक फ़लसफ़ा दो ।।
इंसां के लिए  इतना गुस्सा ठीक नहीं,
हारकर जो जीते इन्हें बधाई बड़ा दो ।
एक दिन जोश ए जुनून सफल होगा,
संघर्ष विजय को  ऐसी  मशवरा  दो ।
मां की जीवन बीत गई बर्तन खाना में,
निवाला कम खाएंगे ऐसी हौसला दो ।
बेदर्द वक्त है फ़िर भी  गुजर जाएगा,
ऐ खुदा  हमारे हक़ में ही फैसला दो ।
कुछ देना है तो डर नहीं हौसला दो ।
जिंदगी जीने की एक फ़लसफ़ा दो ।।
— मनोज शाह ‘मानस’

मनोज शाह 'मानस'

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