कविता

गंगा जमुनी देश हमारा ( कविता )

 

गंगा जमुनी देश हमारा
अलग अलग हैं रंग यहाँ
जाति धर्म हैं जुदा जुदा
पर रहते हैं सब संग यहाँ

मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर
और गली गली गुरुद्वारे हैं
जननी मातृभूमि यह सबकी
हम बालक इसके सारे हैं
कहीं अजान, कहीं गुरुबानी
गुंजित है कहीं शंख यहाँ
गंगा जमुनी देश हमारा
अलग अलग हैं रंग यहाँ

धोती, कुर्ता और पजामा
का मजहब कोई क्या जाने
इंसां हैं हम, एक दूजे को
इंसां कहकर पहचानें
सर्वधर्म समभाव मंत्र है
जीने का आधार यहाँ
जाति धर्म हैं जुदा जुदा
पर रहते हैं सब संग यहाँ
गंगा जमुनी देश हमारा
अलग अलग हैं रंग यहाँ

पंजाबी, बंगाली हम हों
या कश्मीरी मद्रासी
इस बगिया के सुमन हैं सारे
सब पहले भारतवासी
देशप्रेम की निर्मल गंगा
बहती हर दिल में है यहाँ
गंगा जमुनी देश हमारा
अलग अलग हैं रंग यहाँ

 

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।