कविता

अच्छा है…

कुछ रिश्ते पुराने से रहे तो अच्छा है
वक़्त की धूल न चढ़े तो ही अच्छा है
वही अपनापन बना रहे तो अच्छा है
वक़्त के साथ इंसान बदलते देखा है
इंसान की शख्सियत बदलते देखा है
खुद में खुद बन कर रहो तो अच्छा है
मौलिकता बरकरार रखो तो अच्छा है
उड़ो पर ज़मीं पे रहे नज़र तो अच्छा है
लोगों को आसमां से गिरते हुए देखा है
अपने हाथों से ज़मीं ढूंढते हुए देखा है
किसी से गर करो मुहब्बत तो अच्छा है
अपने दिल की बात कह दो तो अच्छा है
कोई हमदर्द रहे हमेशा साथ तो अच्छा है
अकेले इंसान को अक्सर टूटते देखा है
खुद से लड़ते और झूझते हुए देखा है
किसी को तो बना लो खास तो अच्छा है
अपनों में गुज़ारो थोड़ा वक्त तो अच्छा है
रिश्तों को दे दो अहमियत तो अच्छा है
— आशीष शर्मा ‘अमृत’

आशीष शर्मा 'अमृत'

जयपुर, राजस्थान