सामाजिक

क्रोध तो आग है

मनुष्य जन्म बहुत ही सौभाग्य से मिलता हैं।पृथ्वी पर जन्मे जीवों की अलग अलग क्षमताएं हैं।जिसमे पशु–पक्षी कीट– पतंगे सभी का समावेश होता हैं।सब ही प्राणियों में प्रेम जताने की या नाराजगी जताने का अपना अपना तरीका हैं।जैसे सांप कभी ऐसे ही गुस्सा कर कटेगा नहीं किंतु जब उसे अपनी सुरक्षा खतरे में लगती हैं तो ही वह कट्टा हैं।वैसे ही मधुमक्खी आदि के विषय में के सकते हैं।सिंग वाले प्राणी सुरक्षा में सिंग से मारते हैं। शेर का तो अपना ही अंदाज हैं क्रोधित होने का।वैसे मनुष्यों में तो सभी जानवरों के गुण हैं,कुत्ते जैसे कुछ भी बोलने को भौंकना कहा जाता हैं,कुछ चोरी चोरी करना वह बिल्ली जैसे दबे पांव,बिना किसी बात के पंगे लेने को गाय जैसे सिंग मारना कहा जाता हैं,कोई इधर उधर उछल के किसी को नुकसान पहुंचता हैं वह गधे या घोड़े की तरह दुलत्ती  मारना कहा जाता हैं।गिरगिट की तरह रंग बदलना,कौए की तरह कांव कांव कर के कान खाना,कबूतर की तरह आंखें बंद कर लेना आदि बहुत ही उदाहरण हैं।
इसके अलावा एक ओर गुण भी हैं, मनुष्यों में  मानव और दानव दोनों के गुण होते हैं।मनुष्य जब गुस्सा करता हैं तो सिर्फ उसी को मिली ऐश्वरीय देन का दुरुपयोग करता हैं वह हैं वाणी,जिसे ईश्वर ने मीठी बनाईं थी उसमे जहर भर दें उसके प्रभाव से किसी को भी मानसिक हानि भी पहुंचा ने के अलावा शारीरिक हानि पहुंचाने तक पहुंच जाता हैं।क्रोध एक पश्वीय वृत्ति हैं जो ठहरता कुछ क्षणों के लिए ही हैं लेकिन दुरोगमी असर छोड़ जाता हैं।उसे पाशविक वृत्ति भी कही जा सकती हैं। क्रोध को शांति नाशक तो कह सकतें हैं जो मानसिक प्रताड़ना देता हैं,दोनों को ही,जो क्रोध करता हैं और जो सहता हैं। दोनों को।क्रोध करने से शरीर में कुछ स्त्राव होते हैं जो शरीर के रक्त में एसिड की मात्रा को बढ़ा देते हैं जिससे शारीरिक नुकसान होता हैं, जिससे कईं प्रकार की बिमारियां शरीर में जन्म ले लेती हैं। क्रोध वो जहर हैं जो क्रोध सहने  वाले पर ही असर करता हैं ऐसा नहीं हैं।क्रोध करने वालें को भी वही असर करता हैं ये द्विपक्षी जहर हैं जिससे हमें दूर रह कर क्रोध को छोड़ प्रश्नों का कोई व्यवहारिक निराकरण लाना आवश्यक बन जाता हैं।
   कितने सामाजिक, राजकीय आदि संघर्षों को जन्म देने वाले इस क्रोध का त्याग ही जीवन को मधुर बनाए रखता हैं।ये आग का दरिया हैं उससे बच के रहना ही सयाने लोगों का मंत्र हैं
— जयश्री बिरमी

जयश्री बिर्मी

अहमदाबाद से, निवृत्त उच्च माध्यमिक शिक्षिका। कुछ महीनों से लेखन कार्य शुरू किया हैं।फूड एंड न्यूट्रीशन के बारे में लिखने में ज्यादा महारत है।