गीत/नवगीत

श्रमिकों का गीत

श्रम करने वालों के आगे,गहन तिमिर हारा है।
श्रमिकों के कारण ही तो देखो,हरदम उजियारा है।।
खेत और खलिहानों में जो,
राष्ट्रप्रगति के वाहक हैं
अन्न उगाते,स्वेद बहाते,
जो सचमुच फलदायक हैं
श्रम के आगे सभी पराजित,श्रम का जयकारा है।
श्रमिकों के कारण ही तो देखो,हरदम उजियारा है।।
सड़कों,पाँतों,जलयानों को,
जिन ने नित्य सँवारा
यंत्रों के आधार बने जो,
हर बाधा को मारा
संघर्षों की आँधी खेले,साहस जिन पर वारा है।
श्रमिकों के कारण ही तो देखो,हरदमउजियारा है।।
ऊँचे भवनों की नींवें जो,
उत्पादन जिनसे है
हर गाड़ी,मोबाइल में जो,
अभिवादन जिनसे है
स्वेद बहा,लाता खुशहाली,श्रमसीकर प्यारा है।
श्रमिकों के कारण ही तो देखो,हरदम उजियारा है।।
—  प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल-khare.sharadnarayan@gmail.com