लघुकथा

सुर का जादू

एक शहर में चूहों का आतंक बहुत बढ़ गया था।घर,खेत और खलिहानों में खाद्य सामग्री को खा तो जाते थे और खाने से ज्यादा  व्यय करतें थे।पूरा गांव परेशान रहता था और गांव के बुजुर्गों का मानना था कि अगर यही हाल रहा तो गांव भुखमरी की चपेट में आ जायेगा।गांव का एक आदमी व्योपार के उपलक्ष में दूसरे गांव में गया हुआ था तो वहां उसकी मुलाकात एक बांसुरी वाले से हो गई।वह बांसुरी वाला इतना प्रवीण था कि जब वह कुछ तान छेड़ता था जो गांव के चूहों को मुग्ध बनाकर अपनी और आकर्षित कर लेती थी।जब बांसुरी वाले को उस आदमी ने बताया तो वह मान गया और सभी चूहों से गांव से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया लेकिन उसके एवज में कुछ रुपयों की भी मांग की तो दोनों में समझौता हो गया कि जैसे ही चूहों से निजात मिलेगी उसे उसका निश्चित दाम दे दिया जायेगा।
 अब बंसी वाला आया और तान छेड़ी तो खेतों से,खलिहानों से , बिल में से ,घरों से उछलते कूदते चौराहे पर आ गाएं जहां बंसी की तान छेड़ रखी थी बांसीवाले ने ओर बांसीवाला बंसी बजाता हुआ आगे चलने लगा और पूछे चूहे दौड़ते रहें और जो कोई बच गएं थे वे भी जुड़ते गए,और वह आगे बढ़ता गया बढ़ता गया जंगल की ओर।कुछ आगे जाते हुए एक नदी आई तो बांसीवाले ने तो चलकर पार करली लेकिन चूहे सारे बह ने लगे उन्हीं चूहों में एक चूहे को ज्ञान हुआ कि ये उन सुरों का असर था तो उसने अपने कान बंद कर लिए और नदी के किनारे की और तैर ने लगा और एक छोटे से पत्थर का सहारा ले बहने से बच गया और जब मौका मिला तो दौड़ कर गांव में पहुंच गया।
     अब देखें तो बंसीवाले और उस आदमी में अनबन हो गई क्योंकि उस आदमी ने तय की हुई रकम देने से इंकार कर दिया और कुछ रूपए दे कर पीछा छुड़वा ने की कोशिश की तो बंसी वाला नाराज हो गया और उसने उसने फिर से बंसी की तान छेड़ दी तो इसबर चूहे नहीं बच्चें दौड़ कर आने लगे तो गांववाले डर गाएं और उसे उसकी निर्धारित राशि दे दी।बंसीवाला बंसी पास में रख कर अपना पैसा गिनने बैठ गया अब मौका देख कर वह चूहा जो बच कर आ गया था,उसने वह बंसी उठा ली और भाग गया।अब वह चौराहे पर आ गया और बंसी में फूंक मारी तो ऐसी तान निकली कि उस बांसीवाले के साथ सब ही गांववाले भी दौड़ के चौराहे पर आ गए तो चूहा बंसी बजाता हुआ गांव से बाहर निकल गया अब उन्हें कौन बचाएगा क्योंकि चूहा तो बहुत बड़े दरिया की और जा रहा था।अब तो उन्हीं लोगों में से कोई होश में आएं और उस चूहे ने जैसे अपने आपको बचाया था वैसे ही पूरे समूह को बचा लें।
 इस कहानी में तद्राश्य होता रूप हैं कि इस युग में मानव को मोबाइल की इस जादुई तान से बचाने का काम कौन करेगा ये यक्ष प्रश्न हैं।
— जयश्री बिरमी

जयश्री बिर्मी

अहमदाबाद से, निवृत्त उच्च माध्यमिक शिक्षिका। कुछ महीनों से लेखन कार्य शुरू किया हैं।फूड एंड न्यूट्रीशन के बारे में लिखने में ज्यादा महारत है।