सामाजिक

अभिभावक कृपया ध्यान दें!

जैसे-जैसे आधुनिकता हम सभी पर हावी होती जा रही है ,वैसे -वैसे हम परिवार से दूर और बाहरी आभासी दुनिया के काफी करीब होते जा रहे हैं।आजकल कई ऐसे उदाहरण देखने,सुनने को मिल जाएंगे कि किसी बच्चे ने अपने हाथ की नस काट ली,कोई मानसिक तनाव में पहुँच गया,कोई घर से भाग गया आदि,आदि,आदि।
पढ़ाई से जी चुराते बच्चे, सोशल मीडिया की गिरफ्त में जाते बच्चे, अपनी उम्र से भी पहले बड़े होते बच्चे, एक अपनी ही अलग-थलग सी दुनियां में रहने वाले बच्चे,
संस्कार विहीन होते बच्चे,आक्रोशित होते बच्चे।
मेरा सभी से एक निवेदित प्रश्न है कि क्या बच्चों की सभी आवश्यकता पूरी करके हम एक अच्छे अभिभावक बन पाए हैं? क्या इसके अलावा हमारा अपने बच्चों के प्रति,परिवार के प्रति कोई दायित्व है कि नहीं?मैं मानती हूँ कि आजकी भागदौड़ भरी जिन्दगी और व्यस्तता के चलते हम अपने परिवार को समय नहीं दे पाते,साथ  बैठ भोजन नहीं कर पाते कुछ अपनी कुछ बच्चों की सुन नहीं पाते।
सार यह है कि हमारे पास समय नही है। पर क्यों? ऐसा कौन सा काम है कि चौबीस घण्टे चलता है । क्या हम अपने बच्चों के लिए थोड़ा समय नहीं निकाल सकते।कई माता-पिता तो कभी बच्चों का बैग खोलकर नहीं देखते ,उनकी स्कूल की गतिविधियों पर नजर ही नहीं डालते,उनका बच्चा मोबाइल में क्या देख रहा है इस ओर उनकी नजर ही नहीं  जाती। अगर आपका बच्चा गलत दिशा में जा रहा है तो कहीं न कहीं हम जिम्मेदार हैं इन सब के लिए। पैसा हर वस्तु का पर्याय नहीं है। अपने बच्चों को समय दीजिये,उनसे खुलकर बात कीजिये ,उनके साथ खेलिए, और सबसे अहम बात उन्हें समझिए।परिवार आपका है ,बच्चे आपके हैं,तो दायित्व भी आपका है कि उसे बिखरने न दे,उसे सहेजें। थोड़ी सख्ती थोड़ा स्नेह,थोड़ी ममता थोड़ा धैर्य इन सबकी आज भी आपके बच्चों को जरूरत है। एक बार उन्हें गले लगा कर तो देखिए।
— सपना परिहार

सपना परिहार

श्रीमती सपना परिहार नागदा (उज्जैन ) मध्य प्रदेश विधा -छंद मुक्त शिक्षा --एम् ए (हिंदी ,समाज शात्र बी एड ) 20 वर्षो से लेखन गीत ,गजल, कविता ,लेख ,कहानियाँ । कई समाचार पत्रों में रचनाओ का प्रकाशन, आकाशवाणी इंदौर से कविताओ का प्रसारण ।