गीत/नवगीत

भारतवासी

भारतवासी माटी पूजें, तुमको बात बताता हूँ।
बहती है गंगा-यमुना,मैं गीत वहाँ के गाता हूँ।।
पर्वतराज हिमालय जिसके हर संकट को हरता है।
तीन ओर का सागर,जिसकी चरण-वंदना करता है।।
  भारतवासी परम वीर हर, नित्य शहादत वरता है।
गगन तिरंगा फहराता है,हर विपदा को हरता है।।
बच्चो जानो,भारत माँ को,जिसका कण-कण सुंदर है।
शस्य श्यामला मातृभूमि है,पर्वत-नदियां अंदर है।।
ताल-तलैया,मैदानों की,आभा बहुत लुभाती है।
मेरे बच्चो! दुर्ग-महल में,इतिहासों की थाती है।।
खुशियों के मेले लगते हैं,हर्ष निरंतर झरता है।
गगन तिरंगा फहराता है,हर विपदा को हरता है।।
लक्ष्मी बाई,वीर शिवा से,दमकी नित्य जवानी है।
महाराणा ने चेतक के सँग,रच दी नवल कहानी है।।
दीवाली,होली की आभा,ईद खुशी को लाती है।
भारत को बच्चो जानो तुम,जिसकी हवा सुहाती है।।
रहे सुरक्षित नित्य धरोहर,’शरद’ कामना करता है।
गगन तिरंगा फहराता है,हर विपदा को हरता है।।
पूरब-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण,सभी ओर हरियाली है।
हर मुखड़े पर हर्ष दिख रहा,सभी ओर खुशहाली है।।
बच्चो! जानो मातृभूमि को,जो हम सबकी माता है।
भारत माता की जय बोलो,तो मस्तक उठ जाता है।।
धरती है जन्नत के जैसी,हर कोई नित तरता है।
गगन तिरंगा फहराता है,हर विपदा को हरता है।।
— प्रो (डॉ) शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल-khare.sharadnarayan@gmail.com