कविता

यादें

यादे
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ज़िंदगी के कैनवास पर
उकेरो सुनहरे ,रुपहले पल
ज़िंदगी के कोरे पन्ने पर
लिखो स्नेह के मंत्र और आयतें
ज़िंदगी के साज़ से
ध्वनित कर लो अन्तर्मन
ज़िंदगी संगीत है
गुनगुना लो मधुर तानों को
और
जीवन घट भरलो अनमोल यादों से|
यादें
हाँ यादें
साथी तन्हाई का
देती हैं हौसला
जीवन जीने का |
साँसो के टूटने तक
साथ निभाती हैं |
कभी हँसाती ये कभी रुलाती हैं
कभी हँसाती ये कभी रुलाती हैं |
मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016