कविता

वट सावित्री

जेष्ठ माह की कृष्ण अमावस को सुहागन  करके यह व्रत,वर के नाम सोलह सिंगार कर लूँ हर दुख,पीड़ा, उलझाने मुझ पर पड़े  वट की परिक्रमा कर मांगू वरदान, सदा मैं सुहागन रहूँ!!  शताधिक चंद्रमा की कलाओं सा  स्वयं को रती सी सजा लूँ  सुसज्जित कर लूँ ऱहूँ मैं प्रेम में सजी  अखंड कुमकुम में प्रिय, […]

लघुकथा

मेरा मुन्ना आएगा

घर में चारों तरफ खुशियों का माहौल पसरा है. आज सावित्री की बेटी नीना का विवाह जो है, सावित्री एक कोने में चुपचाप उदास मन से बैठी कुछ सोच रही थी, कि अब उसकी नीना कुछ पल की मेहमान है, फिर तो पराई हो जाएगी इससे कई गुना ज्यादा अपने बेटे मुन्ना की बातें उसे […]

कविता

नवल वर्ष

 स्वागत है जीवन में नवल वर्ष का  आए हैं  नूतन निर्माण लिए  इस महा जागरण के युग में  जागृत जीवन अभिमान लिए!!  बीते बरस की बातों को दे बिसार  लेकर आया है यह खुशियाँ और प्यार  खुली बांहों से करते हैं आपका स्वागत  और ईश्वर को करते हैं ह्रदय से आभार!!  दीन दुखियों को त्राण, […]

लघुकथा

लघुकथा : बेटी 

ज्यो ही फोन की घंटी बजती है, अंदर से आवाज़ आती है -“माँ सगीना दीदी का फोन आया है “पार्वती सगीना का  नाम सुनकर प्रसन्नता से छलकती हुई आती है और कहती है बेटा सगीना कैसी हो तुम? ससुराल वाले कैसे है, जमाई बाबू कैसे है,,, इतना सुनते ही सगीना की आँखे भर आई और […]

कविता

हम दर्दी इश्क

सर से पाँव  तक पानी-पानी है समंदर मगर आंसू की तरह आंख तक आ भी नहीं सकता सुना है हमने झूठ तो पैर पसारे बैठा है जीते-जी कोई अच्छा कहला भी नहीं सकता!! सुना था माह-ओ-नज्म मिलेगा बाजार-ए-इश्क में जो मिला उससे मैं उजाला ला भी नहीं सकता सरापा चूर है सराब- ए-जात में सब […]

कविता

शहर

बता कौन है ये अनजान शहर में अपना  कब तक यूँ ही घुमु मारा-मारा शहर में  चलो अब गाँव को चलते हैं  ना हो पाएगा यूँ  गुजारा शहर में!!  समंदर की भाँति  बिखर गए हैं  मिला ना किनारा ये शहर में  सरेआम लूट रही है यहाँ दुनिया  है किसको शहर ने सुधारा शहर में!!  लूट […]

कविता

शहीद सैनिक का दर्द

 नैनों में देखकर आँसू नीले अंबर में खो गए  आघात सहकर हमेशा के लिए  नींद में फिर सो गए  लड़ते रहे वो अंतिम साँस तक सीमा पर  खुद को कुर्बान कर देश को आजाद कर गए!!  बेटे की शहादत को जिसने देखा होगा  उस माँ के सीने में फिर शोला दहका  होगा  झकझोर रही तेरी […]

कविता

कविता

मेरी आँखों का तारा, मेरी आँखों मे है दिखती हमें हर खुशी देती, वो गम मे है रहती मेरी सर्वप्रथम गुरु रही तू माँ बोलना सिखाया हमें, आज वह खुद चुप है रहती !! पापा के कंधे दीवारें हैं घर की बेटा पापा की आंखें हैं घर की चौखट है बताती वदी नेकी जो मर्जी […]

कविता

नारी की शिक्षा

हर घर में हो अब नारी की शिक्षा  पाकर वह अपने परिवार का करें दीक्षा  ना दो अब कोई नारी को पीड़ा  दर दर से मांग रही वह भिक्षा!!  शिक्षा ही नारी की है अब हथियार  जिसके बल पर पा सके वह संकटों से पार  गर नारी के पास है शिक्षा का आभूषण  शब्दों से […]

कविता

अकेले है हम

ना कोई शोर, ना कोई आहट है मायूस सा शहर अकेले है हम ना किसी का मिलना, ना कोई अब पास है गमजदा हवा है सहमे से है हम !! ना कभी चाँद छिपा था कभी आमावस मे है जिस तरह कैद अपने घरों मे हम जीने को देखो कितने आगे आ गए है की […]